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AV Fistula Care

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डायलिसिस के लिए फिस्टुला सामान्तया नॉनडोमिनैंट हाथ में किया जाता है। फिस्टुला या तो कोहनी या रिस्ट ( पंजे के ऊपर ) बनाया जाता है, और वैन या आर्टरी ठीक न होने पर कंही और भी बनाया जा सकता है।

२०% से ३०% फिस्टुला डायलिसिस के लिए उपयुक्त नहीं हो पाते है , इसके कई कारन हो सकते है जिसके कारण नसों में क्लॉटिंग ( थक्का ) बन जाता है और फिस्टुला नहीं चल पाता है. सामान्य परिस्थित में फिस्टुला ६ सफ्ताह के बाद उपयोग करने लायक हो जाता है।
फिस्टुला उपयोग करने के पहले एक बार नेफ्रोलॉजिस्ट /वैस्कुलर सर्जन को जरूर दिखा दे।

टांके या तो अपने आप गलने वाला होता है या उन्हें कटना पड़ता है, अपने डॉक्टर से पता कर ले उन्हें कब कटना है।

क्या करे – 

फिस्टुला बनने के बाद हाथ की एक्सरसाइज करे सॉफ्ट बॉल से , पहले दिन धीरे धीरे काम समय के लिए करे, यदि कोई ब्लीडिंग हो तो बंद कर के डॉक्टर को दिखाए।
दूसरे दिन से ज्यादा समय के लिए करे। जिस हाथ में फिस्टुला बना है उस हाथ को तकिये के ऊपर  रखे ( लिंब एलिवेशन) ऑपरेशन साइट का प्रतिदिन ध्यान रखे , यदि कोई ब्लीडिंग या पानी  का रिसाव होता है तो डॉक्टर को दिखाए।

यदि कोई कम्प्लीकेशन न हो तो ७ दिन बाद ड्रेसिंग की आवशक्तया नहीं होती है, पर डॉक्टर से पूछ ले। प्रतिदिन फिस्टुला को देखते रहे , अगर थ्रिल नहीं आ रही हो तो डॉक्टर को दिखाये.

क्या न करे –

  1. जिस हाथ में फिस्टुला की सर्जरी हुई है, उस तरफ कोई टाइट कपडे,घडी, ब्रासलेट  न पहने।                                                                                                           
  2. जिस हाथ में ओप्रशन हुआ है , उससे कोई भरी सामान न उठाये।
  3. जिस हाथ में ओप्रशन हुआ है , उस हाथ में ब्लड प्रेशर न चेक कराये , ब्लड सैंपल न दे तथा कोई IV लाइन न लगाए।
  4.  फिस्टुला बना है , उस हाथ की तरफ करवट कर के सोने से बचे , ज्यादा देर तक उस हाथ  को दबा कर न रखे।
  5. आवश्यकता पड़ने पे यदि कोई व्यक्ति आप को पकड़ कर उठा रहा है तो ज्यादा देर तक फिस्टुला वाले हाथ को न पकड़ने / दबने न  दे।

अगर इनमे से कोई प्रॉब्लम हो तो डॉक्टर को तुरंत  दिखाए।

seek medical advice immediately if having any of the below problem
अगर फिस्टुला से कोई ब्लीडिंग होती है| (there is bleeding from AV fistula.)

अगर इन्फेक्शन की संभावना नज़र आती है ,

  1.  जैसे कि त्वचा के रंग में बदलाव , त्वचा का लाल होना, सूजन आना , पस ,ब्लड या पानी का रिसाव तथा टेम्परेचर ज्यादा होना। ( there are any sign of infection or any change in appearance to the skin , such as swelling ,red skin, pus or if the skin around the AV fistula is warm to the touch.)
  2. जंहा पर फिस्टुला हुआ है वंहा पर फूल जाना। ( there is bulging over the AV fistula ).
    अगर बुखार आता है या ठंड लगती है। (if you have fever or chills.)
  3. अगर फिस्टुला से थ्रिल न आये, या पहले से काम हो जाय। ( the thrill in your AV fistula is slower than normal, or if you cannot feel a pulse.)
  4. अगर हाथ ठन्डे पड़े , हाथो में जलन होती हो, तथा हटो का रंग नीला या सफेद हो जाय। (if your hands are numb ,cold to the touch or weak.)
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This Post Has One Comment

  1. Abhishek

    Very informative article

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